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बिल नहीं दिया तो शव को बनाया बंधक, धनबाद के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान युवक की मौत -

बिल नहीं दिया तो शव को बनाया बंधक, धनबाद के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान युवक की मौत

परिजन बिल भरने में असमर्थ थे तो अस्पताल प्रशासन ने शव देने से किया इनकार

धनबाद : जिले में एक शव को बंधक बनाने का मामला सामने आया है परिजन का आरोप है कि उनके मरीज सुधीर वर्मा की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई

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परिजन अस्पताल का बिल भरने में असमर्थ थे तो अस्पताल ने सुधीर वर्मा के सब को बंधक बना लिया जब परिजन ने सब लेने के लिए प्रबंधक के पास गए तो उनको साफ तौर पर कहा कि जो बकाया बिल है उसको पूरा किया जाए उसके बाद ही सब को सोप जाएगा । वही सुधीर वर्मा गिरिडीह के गांधी बाजार में चाऊमीन के दुकान में दुकान करते थे इसी बीच एम्बुलेंस की तेज रफ्तार आने से सुधीर वर्मा बुरी तरह से घायल हो गए इसके बाद आनंद में बेहतर इलाज के लिए धनबाद के एस जे ए एस सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया

जिसके बाद पिछले चार दिनों से इलाज चल रहा था अचानक परिजनों को अस्पताल प्रबंधक द्वारा सूचना दिया गया कि मरीज की मौत हो गई वही परिजनों का कहना है कि पिछले 4 दिनों से इस अस्पताल में इलाज चल रहा था अस्पताल प्रबंधक द्वारा चार लाख रुपया जमा करवाया गया उसके बाद जब उसकी मौत हो गई तो फिर 103000 की राशि का डिमांड करने लगे जबकि पहले इतनी बड़ी रकम जमा कर चुके हैं और पैसे देने में असमर्थ है

क्योंकि मृतक घर में इकलौता कमाओ व्यक्ति था जो सड़क पर चाऊमीन की दुकान लगाकर अपना परिवार का जीवन यापन करता था परिजनों के पास पैसे नहीं होने की वजह से उन्होंने असमर्थता जताई इसके बावजूद भी अस्पताल प्रबंधन के द्वारा सबको नहीं छोड़ा गया हालांकि इस बात को लेकर जब अस्पताल प्रबंधन से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने अस्पताल के नियमों का हवाला देते हुए कागजी कार्रवाई और एग्रीमेंट की बात कही हालांकि अभी तक परिजन अपने मित्र सबको मांगने की को लेकर गुहार लगा रहे हैं अस्पताल प्रबंधन किसी प्रकार की कोई सहानुभूति नहीं दिख रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री के आदेश का कोई असर नहीं

इस मामले को लेकर झारखंड का सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने भी खुले तौर पर ऐलान किया था कि मरीज की मौत के बाद शव को रोकना कहीं से भी उचित नहीं है और ऐसा किए जाने पर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ गाड़ी कार्रवाई की जाएगी पर धनबाद में स्वास्थ्य मंत्री के आदेशों को भी ठेंगा दिखा रहे हैं निजी अस्पताल जिसका जीता जागता उदाहरण गिरिडीह के मरीज के साथ हुआ।

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