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झारखंड उच्च न्यायालय के प्रथम चीफ जस्टिस का निधन -

झारखंड उच्च न्यायालय के प्रथम चीफ जस्टिस का निधन

झारखंड हाईकोर्ट के प्रथम एवं हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के चीफ जस्टिस वीके गुप्ता (विनोद कुमार गुप्ता) का 78 वर्ष की उम्र में निधन हो गया ।

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काफी दिनों से बीमार चल रहे थे और शनिवार को नई दिल्ली में उन्होंने आखिरी सांस ली । झारखंड राज्य गठन के बाद 15 नवंबर 2000 को जस्टिस वीके गुप्ता झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस नियुक्त हुए थे । 5 दिसंबर 2000 को राज्यपाल ने उन्हें चीफ जस्टिस पद की शपथ दिलाई थी। 8 मार्च 2003 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में स्थानांतरित हुआ।

2 फरवरी 2008 को उत्तराखंड हाईकोर्ट, नैनीताल के चीफ जस्टिस का पदभार संभाला। 9 दिसंबर 2009 को सेवानिवृत्त हुए। उनका अंतिम दाह संस्कार 16 फरवरी को शाम 4 बजे लोधी रोड श्मशान घाट में किया जाएगा। उनके निधन पर झारखंड हाईकोर्ट, सिविल कोर्ट रांची समेत राज्य भर के अधिवक्ताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है। ईश्वर उनकी पुण्य आत्मा को मोक्ष प्रदान करे तथा शोकाकुल परिवारजनों को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।

जम्मू कश्मीर के उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के वरिष्ठ वकील के रूप में काम किया

जस्टिस वीके गुप्ता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के सरकारी गांधी मेमोरियल साइंस कॉलेज में पूरी की। उसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की और 1970 में दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की । अपने वकील के करियर में गुप्ता ने जम्मू-कश्मीर के एडवोकेट जनरल और जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ केंद्र सरकार के स्थायी वकील के रूप में काम किया ।

बार काउंसिल के अध्यक्ष और सचिव भी रहे

वे बार काउंसिल की गतिविधियों से जुड़े रहे और बार के अध्यक्ष और सचिव के पद पर रहे। 1990 में गुप्ता को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया। 1996 में उन्हें कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया और 15 नवंबर 2000 को झारखंड उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए। उन्होंने 5 दिसंबर 2000 को इस उच्च न्यायालय के पहले स्थायी मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

उत्तराखंड में के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा दी

इसके बाद न्यायमूर्ति गुप्ता 2003 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शामिल हुए। सेवानिवृत्ति से पहले उन्होंने 2 फरवरी 2008 से 9 सितंबर 2009 तक उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद भी संभाला।

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