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बाबा बैद्यनाथ धाम में शिवरात्रि की तैयारी जोर सौर से शुरू , मंदिर के शिखर से उतारे गए पंचशूल -

बाबा बैद्यनाथ धाम में शिवरात्रि की तैयारी जोर सौर से शुरू , मंदिर के शिखर से उतारे गए पंचशूल

देवघर के विश्व प्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर समेत मंदिर प्रांगण में स्थित 22 मंदिरो में पंचशूल स्थापित है ।

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26 फरवरी को महाशिवरात्रि है और शिवरात्रि से पहले सभी मंदिरों के ऊपर लगे पंचशूल को उतारा जाता है और फिर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना के बाद पुनः मंदिर के शिखर पर पंचशूल को स्थापित किया जाता है। आज से पंचशूल उतारने का प्रक्रिया शुरू हो गया। अब धीरे- धीरे सारे मंदिर का पंचशूल उतारा जाएगा।

पंचशूल और त्रिशूल में अंतर

पंचशूल सिर्फ बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर में है। जबकि बाकी जगहों पर त्रिशूल स्थापित है। पंचशूल पांच तत्व से मिलकर बना है : पृथ्वी (क्षिति), जल ( पानी), पावक ( आग) , गगन ( आकाश) तथा समीर (वायु)। जबकि त्रिशूल में तीन तत्व होते हैं : वायु, जल और अग्नि।

बैद्यनाथ मंदिर की सुरक्षा के लिए रावण ने किया था स्थापित

रावण ने सुरक्षा के लिए स्थापित किया था पंचशूल द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग कई मायनों में खास है क्योंकि यह कामना लिंग के नाम से भी जाने जाते हैं और यहां शिव शक्ति दोनों विराजमान हैं इसे हृदयापीठ के नाम से भी जाने जाते हैं। बैद्यनाथ धाम मंदिर के शिखर पर लगे पंचशूल के विषय में तीर्थ पुरोहित का कहना है कि त्रेता युग में लंका के राजा रावण के द्वारा देवघर में बाबा बैद्यनाथ मंदिर निर्माण कराया है।

लंका के चारों द्वारा में लगा था पंचशूल

रावण ने लंका की सुरक्षा के लिए लंका के चारों द्वार पर पंचशूल का सुरक्षा कवच स्थापित किया था। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि रावण को पंचशूल के सुरक्षा कवच को भेदना आता था। जबकि भगवान राम के बस में यह नहीं था ।

विभीषण ने जब यह बात बताई तभी राम और उनकी सेना लंका में प्रवेश कर सकी। राणव ने ही बाबा बैद्यनाथ मंदिर की सुरक्षा के लिए शिखर पर पंचशूल का सुरक्षा कवच लगाया था।

यही कारण है कि आज तक किसी भी प्राकृतिक आपदा का बाबा बैद्यनाथ मंदिर पर असर नहीं हुआ है।

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