झारखंड की आवाज

घुसपैठियों के कारण झारखंड की परंपरा और आदिवासी समाज की पहचान खतरे में : पूर्व मुख्यमंत्री -

घुसपैठियों के कारण झारखंड की परंपरा और आदिवासी समाज की पहचान खतरे में : पूर्व मुख्यमंत्री

सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर इमली चौक स्थित आदिवासी कल्याण समिति द्वारा आयोजित मागे मिलन समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री एवं स्थानीय विधायक चंपई सोरेन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

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वहीं चंपई सोरेन ने कहा कि मागे पर्व आदिवासी समाज के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहार है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष यह पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, जिसमें आदिवासी समाज अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को संजोता है। उन्होंने झारखंड सहित देशभर के आदिवासी समुदाय को मागे पर्व की शुभकामनाएं दीं। अपने संबोधन में चंपई सोरेन ने आदिवासी समाज को सतर्क रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को कमजोर करने की कोशिशें हो रही हैं जिससे सभी को सावधान रहना होगा। साथ ही उन्होंने धर्म परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव और परंपराओं के लुप्त होने को लेकर चिंता जताई। चंपई सोरेन ने झारखंड और संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि घुसपैठियों के कारण झारखंड की परंपरा और आदिवासी समाज की पहचान खतरे में पड़ रही है। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए आदिवासी समुदाय से एकजुट होकर इन घुसपैठियों को राज्य से बाहर करने की अपील की। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मजबूती से खड़ा रहना होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परंपराओं को बचाए बिना आदिवासी समाज की अस्मिता सुरक्षित नहीं रह सकती। समारोह में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे जिन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया और मांदर की थाप पर नृत्य किया। आदिवासी कल्याण समिति के पदाधिकारियों ने चंपई सोरेन का स्वागत किया और उनके विचारों का समर्थन किया।

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