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दुमका में डायरिया का प्रकोप 10 दिनों में चार लोगों की मौ"त। Bkd News Jharkhand -

दुमका में डायरिया का प्रकोप 10 दिनों में चार लोगों की मौ”त। Bkd News Jharkhand

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दुमका/जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र के बेदिया गांव में डायरिया के प्रकोप से पिछले दस दिनों में मां एवं दुधमुंहे बच्चे सहित चार लोगों की मृत्यु होने का मामला सामने आया है। बीते रात एक बुजुर्ग महिला एवं आज एक साठ वर्षीय बुजुर्ग की अचानक मौत हो जाने से गांव में भय का माहौल बन गया है। ग्रामीणों ने बताया कि बीते 10 दिन पूर्व गांव की एक 28 वर्षीय महिला संगीता मरांडी की मौत डायरिया से अन्य गांव उसके मायके में हो गई। वही दो दिन बाद उसके छह माह के दूध मुंहे बच्चे की भी मौत हो गई। फिर बुधवार की रात्रि एक 60 वर्षीय महिला सोना बास्की की मौत हो गई जबकि गुरुवार के दिन गांव के ही 60 वर्षीय बबलू किस्कू की भी मौत हो गई। लगातार ग्रामीणों की मौतें हो जाने से किसी महामारी की आशंका से ग्रामीण भयभीत हो गए और ग्रामीणों ने इसकी सूचना पूर्व जरमुंडी विधायक एवं पूर्व कृषि मंत्री बादल पत्रलेख को दी इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के संज्ञान में मामला आया। स्वास्थ्य मंत्री ने तत्काल दुमका सिविल सर्जन डॉ कमलेश्वर प्रसाद को प्रभावित गांव में चिकित्सकीय टीम भेजने का निर्देश दिया। सिविल सर्जन डॉ कमलेश्वर प्रसाद एवं जरमुंडी प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुनील कुमार सिंह चिकित्सकों की टीम के साथ प्रभावित गांव पहुंचे और समस्त गांव के लोगों की जांच की। गहन जांच के बाद डॉक्टरों की टीम को पूरे गांव में एक भी डायरिया से पीड़ित मरीज नहीं मिला। इस संबंध में सिविल सर्जन ने बताया कि जिस प्रकार लोगों द्वारा बताया गया कि पूरे गांव के लोग डायरिया से पीड़ित हैं लेकिन वर्तमान में गांव में एक भी डायरिया पीड़ित मरीज नहीं मिला। बीते 10 दिन पूर्व जिस महिला की मृत्यु हुई है वह अन्य जगह हुई है जबकि उसके बच्चे की मौत उचित देखभाल नहीं होने के कारण हुई हो। वर्तमान में जो महिला एवं पुरुष की मृत्यु हुई है वह दोनों 60 वर्ष से अधिक उम्र के थे और डायरिया के साथ-साथ अन्य बीमारियों से भी ग्रसित थे। वहीं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर सुनील कुमार ने दावा करते हुए कहा कि गांव में अन्य बीमारियों से तो लोग ग्रसित पाए गए लेकिन डायरिया जैसे बीमारी से पीड़ित कोई भी मरीज नहीं मिला। उनका कहना है कि गांव के लोग जागरूक हैं और पेयजल के रूप में चापानल का स्वच्छ पानी का उपयोग करते हैं।

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