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पिता की ह"त्या के बाद बेटे गुरुजी शिबू सोरेन ने लिया संकल्प महाजनी प्रथा को किया खत्म -

पिता की ह”त्या के बाद बेटे गुरुजी शिबू सोरेन ने लिया संकल्प महाजनी प्रथा को किया खत्म

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Bkd News Jharkhand Desk दिशाेम गुरु शिबू सोरेन ने 4 अगस्त 2025 को गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांसे ली। उनके पार्थिव शरीर को रांची लाया गया जहां पर गुरु जी के अंतिम दर्शन के लिए लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। लोगों ने नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की और हाथ जोड़कर नमन करते हुए कहा कि आप महान थे झारखंड के लिए एक युग का अंत हुआ।

जीवन परिचय

गुरु जी का जन्म 11 जनवरी 1944 को हजारीबाग जिला अब रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में एक साधारण आदिवासी परिवार में हुआ था। उनके पिता सोबरन सोरेन एक सामाजिक रूप से जागरूक व्यक्ति थे, जो अपने समुदाय के लिए कार्य करते थे।

शिबू सोरेन के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं:

पिता की हत्या : 27 नवंबर 1957 को उनके पिता सोबरन सोरेन की हत्या महाजनों और साहूकारों के साथ जमीन विवाद के कारण हुई थी, जिसने उनके जीवन को एक नया मोड़ दिया और उन्हें सामाजिक कार्यों और राजनीति की ओर प्रेरित किया।

आंदोलन की शुरुआत : शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा के खिलाफ लड़ाई शुरू की और महाजन के विरोध आंदोलन शुरू किया और उसी से शुरू हुआ धनकटनी आंदोलन शुरू किया इस आंदोलन में महिलाएं धान काटती और पुरुष तीर कमान लिए घूमता इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों को उनकी जमीन पर अधिकार दिलाना और महाजनों के शोषण से मुक्ति दिलाना था।

झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना : 4 फरवरी 1973 को शिबू सोरेन ने अपने सहयोगियों बिनोद बिहारी महतो और एके राय के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों के अधिकारों की रक्षा करना और एक अलग झारखंड राज्य की मांग को बल देना था।

पहली बार जेल 1975 में गए थे

शिबू सोरेन पहली बार जेल 1975 में गए थे, जब उन्हें चिरूडीह कांड के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस घटना में 11 लोगों की मौत हुई थी, और शिबू सोरेन पर हिंसक भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप लगा था। उन्हें कई साल तक जेल में रखा गया था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

शशीनाथ झा हत्याकांड : 1994 में उनके निजी सचिव शशीनाथ झा की हत्या के मामले में भी उनकी संलिप्तता का आरोप लगा, जिसके लिए उन्हें दिल्ली की एक अदालत ने दोषी ठहराया था, लेकिन बाद में वे बरी हो गए ।

राजनीतिक सफर

शिबू सोरेन ने तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और केंद्र में कोयला मंत्री भी रहे। वे आठ बार लोकसभा सांसद और दो बार राज्यसभा सदस्य चुने गए ।

वर्ष 1977 : शिबू सोरेन ने अपना पहला चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

वर्ष 1980 : उन्होंने दुमका लोकसभा सीट से चुनाव जीता और पहली बार सांसद बने।

वर्ष 1989, 1991, 1996 : शिबू सोरेन ने दुमका लोकसभा सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीते।

वर्ष 2019 : उन्होंने अपना आखिरी चुनाव लड़ा, लेकिन दुमका लोकसभा सीट से हार गए।

शिबू सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री तीन बार बने

वर्ष 2000 : शिबू सोरेन पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने, लेकिन उनकी सरकार ज्यादा समय तक नहीं चल सकी।

वर्ष 2008-2009 : शिबू सोरेन दूसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने।

वर्ष 2009-2010 : शिबू सोरेन तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और भाई बसंत सोरेन पिता के पार्थिव शरीर के साथ

इसके अलावा, शिबू सोरेन तीन बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। उनकी राजनीतिक यात्रा में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उन्होंने हमेशा आदिवासी समुदाय के अधिकारों की लड़ाई जारी रखी।

अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब

फ़ोटो सोशल मीडिया से

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