
हजारीबाग में विस्थापन का दर्द कितना भयावह है इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है एक हंसता खेलता घर परिवार सब बिखेरने का दर्द उस पर पारितोषिक मुआवजा राशि का मिलना वर्षों तक दर दर भटकना विस्थापित के ज़ख्म को गहरा कर देता है उस पर दिव्यांग विस्थापित होना कितना मुश्किल है इसकी बानगी मंगलवार को उपायुक्त हजारीबाग के कार्यालय के बाहर देखने को मिला जब ग्राम पिपरा पोस्ट सिघरावां प्रखंड चौपारण के रहने वाले दिव्यांग राजेश राजेश कुमार मंगलवार को दोपहर एक बजे उपायुक्त हजारीबाग के कार्यालय से मुआवजा की आस लिए निराश लौटे उपायुक्त को दिये आवेदन में इन्होंने कहा है कि नेशनल हाईवे के 2 के चौड़ीकरण में इनकी भूमि का अधिग्रहण 2018 में किया गया तथा इनके आवास को भी तोड़ दिया जमीन का मुआवजा तो मिला लेकिन नेशनल हाईवे के कर्मचारियों की शिथिलता के कारण मकान का मुआवजा नहीं मिला सका इस मामले को उस समय के सांसद जयंत सिन्हा ने इस मामले को संज्ञान में लेकर एनएचआई को 2022 में पत्र लिखा उसके बाद अधिकारी सक्रिय हुए लेकिन आज तक दिव्यांग को मुआवजा नहीं मिला पाया है अपने ही मकान का मुआवजा मांगने आज उपायुक्त से फरियाद लगानें लाचार दिव्यांग वापस लौट गया क्योंकि उपायुक्त कार्यालय से बाहर थे अब देखना होगा कि दिव्यांग विस्थापित को कब तक मुआवजा मिल पाता है यह संबंधित अधिकारियों की कार्यशैली पर निर्भर करता है।