
Bkd News Jharkhand Desk
Deoghar दिशाेम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद गुरु जी के पुत्र मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूरे आदिवासी रीतिरिवाज से श्रद्धा कर्म किया । हेमंत सोरेन अपने गांव नेमरा में रहकर पत्नी विधायक कल्पना सोरेन के साथ सभी कर्म को किया। लेकिन रामगढ़ के नेमरा के अलावा देवघर में भी गुरु जी के शिष्य ने भी सभी कर्म को किया।
शिबू सोरेन के शिष्य सरोज सिंह ने कहा कि कहा जाता है सनातन संस्कृति में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर है। दिशोम गुरु वीर शिबू हमारे लिए केवल ज्ञानदाता नहीं, बल्कि आत्मा के जागरण का माध्यम थे। उनका मार्गदर्शन हमारे लिए समाजिक धर्म, समाजिक कर्म के पूर्णता का एक मात्र रास्ता था। जब ऐसे दिव्य गुरु इस संसार से अपनी लीला समेट लेते हैं, तब मुझ जैसे शिष्य को छोर्यक्रम (अंत्येष्टि से लेकर समापन तक की धार्मिक प्रक्रिया) करना केवल एक सामाजिक कर्तव्य नहीं, बल्कि यह गहन भाव और समर्पण से पूर्ण करने वाला धार्मिक अनुष्ठान है। यह क्रम शिष्य का अपने गुरु के प्रति त्याग, श्रद्धा और कृतज्ञता का साक्षात प्रमाण होता है।

श्रद्धा से सम्पन्न किया गया यह प्रक्रिया, न केवल मेरे लिए गुरु की आत्मा को सद्गति प्रदान करने का प्रयास है, बल्कि मेरे लिए अंतर्मन में गुरु द्वारा प्रदत्त ज्ञान और मार्गदर्शन को अमर कर देने का एक पवित्र संकल्प भी है।

सरोज सिंह ने आगे कहा कि मै आज स्वयं को एक यज्ञ एक संकल्प के लिए समर्पित करता हूँ। जहाँ मै अपने मोह, अपने सुख-दुख, और आत्मिक भावों की आहुति दे रहा हूँ मेरा हर मंत्रोच्चारण, हर आचरण, हर अश्रु गुरु के चरणों में अर्पण है। यह छोर्य क्रम क्रिया केवल मृत्यु का संस्कार नहीं, बल्कि गुरु-शिष्य परंपरा के अमर धागे को नई पीढ़ी तक पहुँचाने वाला धार्मिक तेजस्व है। गुरु जी के शिष्य सरोज सिंह ने सभी क्रिया कर्म के साथ लगभग 5 हजार लोगों को शांति भोज में भोजन भी कराया।