प्रयागराज : जब से उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी है और योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री का पद संभाला है तभी से बुलडोजर से घर तोड़ने की नई परंपरा को शुरुआत की है।

उत्तर प्रदेश के बुलडोजर कार्रवाई को लेकर देशभर में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इस कार्रवाई को लेकर सबकी अलग-अलग राय हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट इसको लेकर सख्त रुख अपनाए हुए है। सुप्रीम कोर्ट लगातार इस तरह की कार्रवाई की निंदा के साथ अधिकारियों को फटकार लगा रहे हैं। इसके साथ ही कई मामलों में मुआवजा देने का फैसला भी सुना रहा है।
वकील , प्रोफेसर और अन्य तीनों लोगों के घरों पर बुल्डोजर एक्शन सीएम योगी को महंगा पड़ा
ऐसे ही एक मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य के घरों को ध्वस्त करने का मामला में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा । कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि घर गिराने की प्रक्रिया असंवैधानिक थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है। आगे कहा कि राइट टू शेल्टर नाम भी कोई चीज होती है। हर काम के लिए उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है हर जगह मनमानी ठीक नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाई किसी तरह से भी ठीक नहीं है।
पांच पीड़ितों की 10 10 लाख मुआवजा देने का दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार के द्वारा किए गए कार्यवाही को गलत बताया और प्रयागराज विकास प्राधिकरण को आदेश दिया है कि पांचों पीड़ितों को 10 10 लाख रुपया हर्जाने का भुगतान करें । सुप्रीम कोर्ट ने इस कार्यवाही की निंदा भी की वही इससे पहले सीएम योगी ने भी अपने एक इंटरव्यू के दौरान कहा है कि बुलडोजर कार्रवाई कोई उपलब्धि नहीं है ।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने तारीफ किया
सपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीफ की और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पीड़ितों को 10-10 लाख मुआवजा दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश स्वागत योग्य है कि प्रयागराज में 2021 में हुए एक बुलडोजर एक्शन पर सभी 5 याचिकर्ता को प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा 6 सप्ताह में 10-10 लाख मुआवजा दिया। इस मामले में कोर्ट ने नोटिस मिलने के 24 घंटे के भीतर मकान गिरा देने की कार्रवाई को अवैध घोषित किया है।
योगी सरकार को पहले भी लगा है फटकार
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार को पहले भी सुप्रीम कोर्ट की फटकार लगी है । इससे पहले नवंबर महीने में भी सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बुलडोजर एक्शन पर फटकार लगाते हुए कहा कि यूपी सरकार ने जिसका घर तोड़ा है उसे 25 लाख रुपए का मुआवजा दे । यह पूरी तरह से मनमानी है, उचित प्रक्रिया का पालन कहां किया गया है? हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था, आप केवल साइट पर गए थे और लोगों को सूचित किया था।
मनमानी तरीके से बुलडोजर चलाने वाली सरकारें कानून को हाथ में लेने की दोषी हैं : सुप्रीम कोर्ट
नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी बुलडोजर पर रोक सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाते हुए ये भी बता दिया कि उसका फैसला किन जगहों पर लागू नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि घर बनाना संवैधानिक अधिकारी है मनमानी तरीके से घर पर बुल्डोजर चलाने वाली सरकारें कानून को हाथ में लेने की दोषी हैं ।

आगे कोर्ट ने कहा कि राइट टू शेल्टर आम आदमी का मौलिक अधिकार है। अदालत ने योगी सरकार की जमकर फटकार लगाई और कहा था कि मकान सिर्फ एक संपत्ति नहीं है, बल्कि पूरे परिवार के लिए आश्रय है और इसे ध्वस्त करने से पहले राज्य को यह विचार करना चाहिए कि क्या पूरे परिवार को आश्रय से वंचित करने के लिए यह अतिवादी कदम आवश्यक है।