देवघर में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 10 फरवरी से 25 फरवरी 2025 तक चलने वाले एमडीए कार्यक्रम की शत् प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति हेतु 5 मार्च 2025 तक इस अवधि विस्तार कर दिया गया है।

जिसके तहत अभी भी फाइलेरिया के आने वाले संक्रमण से बचाव व रोकथाम के लिए दवा खाने से वंचित लोगों को या शेष छूटे हुए लोगों या दवा खाने से इन्कार करने वाले लोगों को फाइलेरिया बचाव की दवा डीईसी तथा अल्बेंडाजाॅल को घर-घर भ्रमण कर दवा प्रशासक दल (सहिया एवं सेविका आदि स्वास्थ्य कर्मियों के दल) द्वारा खिलाया जा रहा है। तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे केंद्रीय टीम के साथ राज्य स्तरीय टीम भी देवघर जिला में चल रहे एमडीए कार्यक्रम का अनुश्रवण एवं मूल्यांकन करने के लिए 27 फरवरी को देवघर पहुंचे, जो एक मार्च 2025 तक देवघर के विभिन्न इलाकों/क्षेत्रों का भ्रमण कर यहां पर राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन महाअभियान के तहत् चल रहे सर्वजन दवा सेवन/एमडीए कार्यक्रम 2025 के विभिन्न गतिविधियों व कार्यों का मूल्यांकन करेंगे। जिसका नेतृत्व भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से आए हुए जी ए रघुवंशी, डिप्टी सेक्रेटरी द्वारा किया जा रहा है। अब तक की उपलब्धि प्रतिवेदन के साथ एमडीए दवा सेवन के उपरांत प्रतिकूल प्रभाव, फाइलेरिया रोगियों की अद्यतन स्थिति व लिंफोड़ीमा तथा हाइड्रोसील रोगियों की संख्या, हाइड्रोसील ऑपरेशन की अधिकतम स्थिति के साथ कितने गांव में लोगों के द्वारा दवा खाने से इनकार किया गया तथा जहां दवा का वितरण कर दिया गया उनके विरुद्ध क्या कार्रवाई लिया गया आदि से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के उपरांत आज सारठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भ्रमण किया गया जहां पर सभी संस्थाओं का भी जांच किया गया तत्पश्चात
दो गांव आराजोरी एवं मुरचुरा का भ्रमण किया
दो गांव आराजोरी एवं मुरचुरा का भ्रमण किया गया। जहां पर दवा प्रशासक दल द्वारा एमडीए कार्यक्रम के दौरान किए गए विभिन्न गतिविधियों, प्रचार-प्रसार व दवा खिलाने के कार्यों का अनुश्रवण घर-घर जाकर लोगों से पूछताछ कर किया गया। जिसमें कुछ घरों के महिला, पुरुष द्वारा एमडीए दवा खाने से यह कह कर मना कर दिया गया था कि इन्हें फाइलेरिया रोग नहीं है या पिछले वर्ष इन्होंने दवा खाया था तो इन्हें उल्टी व बुखार आ गया था आदि। फिर केंद्रीय दल द्वारा इन सभी को काफी समझाया गया कि यह प्रतिकूल प्रभाव उन्हीं लोगों में पाया जाता है जिनके अंदर फाइलेरिया के कृमि मौजूद होते हैं और यह दवा सेवन के उपरांत जब परजीवी हमारे शरीर के अंदर मरते हैं तो इस तरह के मामूली प्रतिकूल प्रभाव देखने के मिलते हैं, जो स्वत: ठीक हो जाते हैं और यह हमारे लिए शुभ संकेत है कि हमारे शरीर के अंदर मौजूद फाइलेरिया के परजीवी मर रहे हैं। इससे हम-आप भविष्य में फाइलेरिया के रोगी बनने से बच गए। जिनको यह प्रतिकूल प्रभाव होता है उन्हें तो प्रत्येक वर्ष इस दवा की साल में सिर्फ एक खुराक खाना आवश्यक हो जाता है। ताकि वे अपने तथा अपने पूरे परिवार को फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से अवश्य सुरक्षित कर लें अन्यथा 10 से 15 वर्षों बाद जब फाइलेरिया के लक्षण स्पष्ट रूप से शरीर में प्रकट हो जाएंगे तो फिर इससे छुटकारा मुश्किल है। इसके रोकथाम का एकमात्र सरल उपाय है एमडीए कार्यक्रम के तहत साल में एक खुराक फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन सभी को कर लेना चाहिए। काफी समझने के बाद बहुत सारे लोगों ने दवा का सेवन केंद्रीय दल के सामने किया।

इस दौरान केंद्रीय दल व राज्य स्तरीय दल के साथ जिला स्तरीय टीम सहित पिरामल स्वास्थ्य के जिला लीड विजय कुमार पांडे एवं श्रवण कुमार झा के साथ सीएफआर के जिला समन्वयक पिंटू कुमार तथा विकास चौहान सहित सीएचसी सारठ के एमटीएस अनिकेत कुमार तिवारी, प्रखंड लेखा प्रबंधक सरोज कुमार सिंह सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी आदि उपस्थित रहे।