
देवघर सनातन घर वापसी फाउंडेशन की ओर से स्थानीय बैद्यनाथ विवाह भवन में ईमान से इंसान तक एक खुली बातचीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह एक आत्मचिंतन यात्रा थी, जिसमें अपना धर्म छोड़ चुके एहसान और सलीम ने भाग लिया। दोनों गाजियाबाद के रहने वाले हैं। कार्यक्रम में रामकृष्ण विवेकानंद सेवा आश्रम के स्वामी राधाकांताजी महाराज और फाउंडेशन के समन्वयक अनुभव पांडेय समेत आरएसएस समेत अन्य संस्थाओं से जुड़े कई बुद्धिजीवी मौजूद थे। मौके पर एहसान ने कहा कि हम अगर धर्म पर टिप्पणी करते हैं या सवाल उठाते हैं तो अपने धर्म के मुताबिक, हम खुद भी उनके अनुशरणकर्ता नहीं रह जाते।
सवाल का जबाव नहीं मिला इसलिए छोड़े इस्लाम
जब सवाल करने की वजह से हमे स्वीकार नहीं किया जा रहा है तो हम धर्मिक रहने या न रहने, एक ही बात है । इसलिए हमलोग इसे छोड़ हैं मैं हाफिज रह चुका है और अपने धर्म को भी पढ़ा हूं, लेकिन कुछ ऐसी बातों का उल्लेख है, जो ग्राह्य नहीं है और TAN GHARWA मिला है। कई चैनलों के डिबेट में इस पर मुद्दे को उठाया, लेकिन सवाल अभी भी कायम है। अलबत्ता मेरे मन का विचार बदला और मैंने अपना धर्म छोड़ दिया। फिलहाल किसी धर्म का अनुशरण नहीं कर रहा हूं। सिर्फ कुदरत को मानता हूं। सलीम ने कहा कि कई हिंदू भाई किसी की बातों को सुन कर धर्म बदल लेते हैं। हमलोग उस धर्म परिवर्तन को खत्म करने का काम कर रहे हैं। इससे हमारी जान को भी खतरा है और दोनों पर हमले भी हो चुके हैं। संस्था के समन्वयक अनुभव पांडेय ने कहा कि लोगों को असलीयत से वाकिफ कराना ही हमलोगों का उद्देश्य है। स्वामी राधाकांताजी महाराज ने कहा कि हम तो सनातन, इस्लाम, ईसाइत सभी के बारे में बताते हैं । विश्व के सभी धर्मों के अच्छे-बुरे विचारों से लोगों को परिचित कराते हैं। देवघरवासी भी धर्म के दोनों पक्षों को जाने। इंसान को इंसान से नहीं जोड़ती है। जब इस पर आलिम, मौलवी से हमलोगों ने पूछा तो उन्होंने जवाब नहीं दिया। हमारे धर्म में कहा भी गया है कि अगर धर्म पर शक करते हैं तो उसके अनुयायी नहीं रह जाते हैं । मेरे सवाल पूछने के 8-10 माह हो चुके है, लेकिन अभी तक जवाब नहीं मिला।