साहिबगंज वरिष्ठ भाजपा नेत्री सीता सोरेन साइलेंटली पहली बार पहुंची साहिबगंज। झारखंड अलग होने के बाद भी साहिबगंज जिला का विकास से कोसों दूर है।

जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का गढ़ है। सीएम साहब का है जिला, लेकिन जिला में विकास दिख नहीं रहा है। जिला में मुख्य रूप से अगर दिख रही है तो केंद्र के द्वारा बनवाए जा रहे गंगापुल और बंदरगाह है यही दो योजनाएं जो जिला को अन्य राज्यों के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ने का कार्य करेगी जो राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर जिला को एक अलग पहचान दिलाएगी ।
यह तो सेंट्रल गवर्नमेंट मोदी सरकार की देन है। जब शिकारीपाड़ा से साहिबगंज जिले की ओर सड़क मार्ग से साहिबगंज पहुंची तो जिला की विकाश खस्ता हालत में दिख रही थी। बीते 25 सालों में नहीं बदल सका संथाल परगना के साथ मुख्यमंत्री के साहिबगंज जिला की तस्वीर।विकाश जिला से कोसों दूर हैं, इसका जिम्मेदार कौन है? इस क्षेत्र की जो खनिज संपदा है उसकी पूरी तरह से दोहन हो रही है। मुख्यमंत्री विदेशी दौड़े पर लगे हुए है।

झारखंड में इन्वेस्ट करने के लिए इन्वेस्टरों की तलाश कर रहे हैं, लेकिन मुझे ऐसा लगता है की मुख्यमंत्री को इस क्षेत्र में ध्यान देने की आवश्यकता है। मैं तो यह कहूंगी की सरकार को साहिबगंज और पाकुड़ क्षेत्र में इन्वेस्टरों को लाकर कुछ इन्वेस्ट कर विकास की दिशा में प्रयास करना चाहिए। ताकि पाकुड़ और साहिबगंज क्षेत्र में जो पत्थर के पहाड़ को खोखला किया जा रहा है, उसे रोकना चाहिए क्योंकि यह ऐतिहासिक धरोहर है। यहां के जो स्थानीय मूलवासी लोग हैं उनकी स्थिति काफी दयनीय है। साहिबगंज जिला जो घनी आबादी का क्षेत्र है वहां का रास्ता बहुत ही खराब है, जिस पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है। यहां जो भी डेवलपमेंट गंगापुल सहित अन्य जो भी कुछ दिख रहा है वह केंद्र सरकार मोदी सरकार की देन है।