
Chatra जिले के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के भूगड़ा गांव के बैगा टोली में एक बार फिर सड़क के अभाव और समय पर इलाज न मिलने से एक गर्भवती महिला की दुखद मौत हो गई। इस हृदय विदारक घटना ने सरकार के आदिवासी हितैषी होने के दावों और स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। गुरुवार को पीड़ा से जूझ रही बैगा आदिवासी महिला गुड़िया देवी ने दम तोड़ दिया। मृतका के पति राजेश बैगा ने एक तथाकथित प्राइवेट क्लीनिक से दवा लाकर दी थी, जिसे खाने के बाद गुड़िया की तबीयत बिगड़ गई।
सड़क नहीं रहने के कारण 500 मीटर दूर रुक में ही रुक गई एम्बुलेंस
तबीयत बिगड़ने पर प्रतापपुर चिकित्सक प्रभारी संजीव कुमार को सूचना दी गई और एंबुलेंस भेजी गई, लेकिन गांव तक सड़क न होने के कारण एंबुलेंस गुड़िया देवी के घर तक नहीं पहुंच पाई। एंबुलेंस आईटीआई कॉलेज के पास ही 500 मीटर दूर रुक गई। परिजनों ने खाट के सहारे गुड़िया को एंबुलेंस तक लाने का प्रयास किया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।
प्रतापपुर चिकित्सक प्रभारी कुमार संजीव ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि गुड़िया देवी की तबीयत बिगड़ी है, जिसके बाद एंबुलेंस भेजी गई थी। लेकिन बाद में परिजनों ने उसे मृत बताकर एंबुलेंस को वापस जाने को कहा।
पोस्टमार्टम के बाद मिलने वाली राशि बिचौलिया खा जाएंगे : परिजन
कुमार संजीव ने यह भी बताया कि प्रथम दृष्टया यह मामला संदेहास्पद स्थिति में हुआ है और उन्हें स्नेक बाइट से मौत होने का भी संदेह है। मामले में जांच के बाद ही खुलासा हो पाएगा, हालांकि परिजन पोस्टमार्टम करवाने से इनकार कर रहे हैं। परिजनों को कहना है कि अगर पोस्टमार्टम के बाद कोई राशि मिलती है तो उसको भी बिचौलिया खा जाएंगे। ऐसे में सरकारी दावों पर सवाल यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की लचर स्थिति का जीता-जागता प्रमाण है। हाल ही में प्रतापपुर के हिंदीयखुर्द गांव में भी सड़क के अभाव में खाट एंबुलेंस पर प्रसव हुआ था। अगर सरकार आदिवासियों के हित की बात करती है, तो इन बेगुनाह आदिम जनजाति की मौत का जिम्मेदार कौन है..? इस मौके पर प्रखण्ड विकास पदाधिकारी अभिषेक पांडेय, अंचलाधिकारी विकास टुडू व चिकित्सा प्रभारी कुमार संजीव सहित अन्य लोग मौजूद थे।