
देवघर पोक्सो 17/2025 मामले में अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय-सह-पॉक्सो मामलों के विशेष न्यायाधीश राजेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने अभियुक्त को दोषी करार देते हुए 20 वर्ष की सश्रम कारावास तथा 20 हजार रुपए जुर्माने की कड़ी सजा सुनाई।
मोहनपुर थाना कांड संख्या 180/2024 में हुई सजा
शादी की नीयत से नाबालिग लड़की का अपहरण करने का मामला था जिसमें पीड़ित की और से मोहनपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई और मामला मोहनपुर थाना कांड संख्या 180/2024 दर्ज किया गया। यह प्राथमिकी 15 सितंबर 2024 को दर्ज की गई थी। पुलिस द्वारा अनुसंधान के बाद 19 नवंबर 2024 को न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया गया था। 28 फरवरी 2025 को पुलिस पेपर रिसीव किया गया। 5 मार्च से गवाही शुरू हुई 10 जुलाई तक चली । जिसमें कुल 7 गवाहों का बयान दर्ज किया गया। 14 जुलाई से बचाव पक्ष की गवाही शुरू हुई 25 जुलाई तक गवाही चली । जिसमें 2 गवाहों का बयान दर्ज किया गया। 4 अगस्त से बहस शुरू हुआ 18 अगस्त तक बहस हुआ। बचाव और अभियोजन पक्ष ने अपनी अपनी बात को कोर्ट के समक्ष रखा और अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय-सह-पॉक्सो मामलों के विशेष न्यायाधीश राजेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने गवाहों के परीक्षण, प्रतिपरीक्षण एवं दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद न्यायालय ने अभियुक्त को दोषी ठहराया।
दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी
यह मामला सरकार बनाम अतहर अंसारी-वि-आरिफ अंसारी उर्फ कारु अंसारी का है जिसमें Bharatiya Nyaya Sanhita की धारा 137 (2) और Protection of children from sexual offences Act, 2012 की धारा 6 लगाई गई थी। अदालत ने अभियुक्त आरिफ अंसारी उर्फ कारु अंसारी को बीएनएस की धारा 137(2) के तहत 4 वर्ष की सश्रम कारावास एवं ₹10 हजार के जुर्माने की सजा दी गई है और पोक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत दोषी पाते हुए 20 वर्ष की सश्रम कारावास तथा ₹20 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में उसे अतिरिक्त तीन वर्ष का कारावास की सजा काटनी होगी। साथ ही इस जुर्माने का भुगतान न करने पर अभियुक्त को एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा।
अदालत ने स्पष्ट किया कि दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व लोक अभियोजक अजय कुमार साह ने किया, जबकि बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता राकेश कुमार ने बहस की।