दुमका जिला से 4 किलोमीटर दूर मयूरक्षी नदी के किनारे प्रकृति के मनोरम दृश्य के बीच संताल परगना का गौरवपूर्ण सांस्कृतिक इतिहास वाला सुप्रसिद्ध राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव आज से शुरु हो गया।

झारखण्ड सरकार ने 9 वर्ष पूर्व हिज़ला मेला को राजकीय मेला घोषित करने के बाद हिज़ला मेला को जनजातीय हिजला राजकीय महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। मेला का उद्घाटन इस बार भी हिजला गांव के ग्राम प्रधान सुनीलाल हेमब्रम ने किया। मेला के उद्घाटन के मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। 21 फरबरी से 28 फरबरी तक चलने वाला राजकीय जनजातीय हिजला महोत्सव की शुरुवात मयूराक्षी नदी किनारे आदिवासी युवकों थिरकती आदिवासी महिलाओं की नृत्य और संगीत को लोगों ने यहां की लोकसंस्कृति और लोकगीत को काफी करीब से महसूस किया। मेला के उद्घाटन के मौके पर दुमका के उप बिकास आयुक्त अभिजत सिन्हा के साथ -साथ प्रशासन के कई आलाधिकारी जिला परिषद अध्यक्ष , सहित कई नेता मौजूद थे। हिजला मेले में इस बार इसकी परंपरा को कायम रखते हुए आधुनिकता के भी समावेश का प्रयास किया गया है। यहां तमाम सरकारी विभागों के एक्जीबिशनस् लगाये गये है तो वहीं लोगों के मनोरंजन का भी खासा ख्याल रखा गया है। आदिवासी संस्कृति की झलक के साथ राजकीय हिजला मेला मे कृषि, सरकार की योजनों के साथ साथ ट्राईवल म्यूजियाम की व्यवस्था की गई है। किसी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये है।स्ंताल परगना के जनजातीय समुदायों से सीधा संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से करीब 135 साल पहले शुरु हुई यह मेला मनोरंजन और हाटबाजार के साथ एकता व सद्भाव का भी प्रतीक है और आठ दिनों तक यह अपने पूरे शबाव पर होता है।