
हजारीबाग आदिवासी पुरोधाओं की मुर्तियां जो हजारीबाग के विभिन्न चौक चौराहों पर लगी हुई हैं उन्हें लगातार खड़ीत करने का प्रयास किया जा रहा जब शहर में स्थापित मूर्तियां को पहली बार तोड़े जाने की घटना घटी थी तब प्रशासन ने किसी विक्षिप्त या शराबी असमाजिक तत्वों द्वारा किए जाने का अनुमान लगाया गया था, सामाजिक संस्थाओं राजनीतिक दलो एवं नागरिकों ने उक्त घटना की तीव्र निन्दा की थी। फिर दुसरी घटना हुई थी तब जिला प्रशासन जागा और सीसीटीवी कैमरा चौक चौराहों पर लगाने की कवायद शुरू हुई लेकिन उक्त घटना को हुए अभी घंटों भी नहीं गुजरा और तीसरी घटना को अंजाम देने का प्रयास किया गया गुरुवार को सुबह सुबह देखा गया की निलाम्बर पितांबर चौक पर स्थापित मुर्तियों के हांथ में धनुष-बाण को खंडित कर दिया गया।
घटना की सूचना जंगल में लगी आग की तरह फ़ैल गई उक्त घटना से आदिवासी समाज अपने को आहत महसूस कर रहे आदिवासी नेताओं ने आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन की चेतावनी दी है साथ ही कहा है कि जिस तरह से ऐसी घटनाएं घटित हो रहा है यह आदिवासियों के अस्मिता पर हमला है आखिर कौन लोग हैं कहीं यह किसी के सुनियोजित योजना का हिस्सा तो नहीं आदिवासियों की मुर्तियां बार बार तोड़ा जाने के पिछे कुछ मंसूबा अवस्य छुपा हो सकता है।आदिवासी नेताओं ने जिला प्रशासन पर उदासिनता बरतने का आरोप लगाया है तथा जल्द से जल्द गुनाहगारों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने की मांग की है। अब देखना है कि जिला प्रशासन अब तक इस अमानवीय कुकृत्य का उद्भेदन करने में कामयाब हो पाती है और इस घटना के क्या दुरगामी परिणाम निकलता है यह भविष्य के गर्भ में है।