रांची झारखंड विधानसभा में सोमवार को पोड़ैयाहाट से कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी का गंभीर मुद्दा उठाया।

उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए 700 घंटी आधारित शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी, जिनमें से 90% झारखंड के स्थानीय निवासी हैं। इन शिक्षकों ने वर्षों तक सेवा दी है, वे नेट क्वालीफाई हैं, पीएचडी धारक हैं और जेपीएससी द्वारा निर्धारित सभी अहर्ताओं को पूरा करते हैं। ऐसे में, सरकार को चाहिए कि इन शिक्षकों को स्थायी किया जाए ताकि वे अपनी सेवाएं सुचारू रूप से जारी रख सकें।
सरकार का पक्ष
उच्च शिक्षा मंत्री सुदिव्य सोनू ने इस मामले पर जवाब देते हुए कहा कि यह एक नीतिगत विषय है और सरकार स्वस्थ प्रतियोगिता को बनाए रखने के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि अन्य विभागों में भी अनुबंध आधारित कर्मियों की नियुक्ति वैकल्पिक व्यवस्था के तहत की गई है और उनकी सीधी नियुक्ति प्रतियोगी प्रक्रिया के विरुद्ध होगी। हालांकि, मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि इन शिक्षकों के अनुभव और सेवाकाल को ध्यान में रखते हुए नियुक्ति प्रक्रिया में वेटेज देने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा, 2416 स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को अधियाचना भेजी जा चुकी है।
विधायक प्रदीप यादव का तर्क
विधायक प्रदीप यादव ने सरकार से सवाल किया कि जब ये शिक्षक सभी निर्धारित योग्यताएं पूरी करते हैं, तो उनके स्थायीकरण में समस्या कहां है? उन्होंने यह भी बताया कि देश के कई अन्य राज्यों—हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और मिजोरम में घंटी आधारित शिक्षकों को समायोजित कर स्थायी किया गया है। ऐसे में, झारखंड सरकार को भी इसी तर्ज पर इन शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करना चाहिए। उन्होंने सरकार से इस विषय पर पुनर्विचार करने और समायोजन की संभावनाओं को तलाशने की मांग की।